पंचतन्त्र की कहानियां

पंचतन्त्र की कहानियां

panchtantra Ki Kahani Photo 


1) शास्त्र अर्थात् ज्ञान ही मानव के वास्तविक नेत्र होते हैं क्योंकि ज्ञान के द्वारा ही हमारे समस्त संशयों एवं भ्रमों का छेदन किया जा सकता है ;सत्य एवं तथ्य का परिचय भी ज्ञान के ही माध्यम से सम्भव हुआ करता है तथा अपनी क्रियायों के भावी परिणाम का अनुमान भी हम केवल अपने ज्ञान के द्वारा ही लगा सकते हैं

2) यौवन का झूठा घमण्ड ,धन-सम्पत्ति का अहंकार ,प्रभुत्त्व अर्थात् सब को अपने आधीन रखने की महत्त्वाकांक्षा तथा अविवेकिता यानि कि सही और गलत के बीच अंतर को न पहचानना—इन चारों में से एक का भी यदि हम शिकार बन गये तो जीवन व्यर्थ होने की पूरी-पूरी सम्भावना होती है; और फिर जहाँ ये चारों ही एक साथ हों तो फिर तो कहना ही क्या !

राजा ने जैसे ही ये श्लोक सुने , तो उसे अपने नित्य कुमार्ग पर चलने वाले और कभी भी शास्त्रों को न पढ़ने वाले पुत्रों का ध्यान हो आया। अब तो वह अत्यधिक विचलित हो कर सोचने लगा—

विद्वान कहते है कि इस संसार में उसी का जन्म लेना सफल होता है जो अपने सुकर्मों के द्वारा अपने वंश को उन्नति के मार्ग पर ले जाता है अन्यथा तो इस परिवर्तनशील संसार में लोग बार–बार जन्म लेकर मृत्यु का शिकार बनते ही रहते हैं।दूसरे; सौ मूर्ख पुत्रों से एक गुणी पुत्र श्रेष्ठ होता है क्योंकि वह अपने कुल का उद्धारक बनता है ; ठीक वैसे ही कि जैसे एक अकेला चन्द्रमा रात्रि के अन्धकार को दूर करता है जबकि यह काम आकाश में स्थित अनगिनत तारे भी नहीं कर पाते।

अब राजा सुदर्शन केवल इसी चिंता में घुलने लगा कि कैसे वह अपने पुत्रों को गुणवान् बनाये? क्योंकि –

वे माता-पिता जो अपने बच्चों को शिक्षा के सुअवसर उपलब्ध नहीं करवाते ,वे अपने ही बच्चों के शत्रु हुआ करते हैं क्योंकि बड़े होने पर ऐसे बच्चों को समाज में कोई भी प्रतिष्ठा नहीं मिलती जैसे हंसों की सभा में बगुलों को सम्मान कहाँ ? दूसरे, चाहे कोई व्यक्ति कितना भी रूपवान् क्यों न हो ,उसका कुल कितना भी ऊँचा क्यों न हो यदि वह ज्ञानशून्य है तो समाज में आदर का पात्र नहीं बन सकता जैसे कि बिना सुगंधी वाले टेसू के पुष्प देवालय की प्रतिमा का श्रृंगार नहीं बन सकते।

चिंतित एवं दुःखी मन होने के बावजूद भी राजा ने एक दृढ निश्चय कर ही लिया कि अब भाग्य के सहारे बैठना ठीक न होगा ,बस केवल पुरुषार्थ ही करना होगा।उसने बिना समय गंवाए पंडितों की एक सभा बुलवाई और उस सभा में आये पंडितों को अत्यंत सम्मानपूर्वक सम्बोधित करते हुए कहा—“क्या आप में से कोई ऐसा धैर्यशाली विद्वान है जो मेरे कुमार्गगामी एवं शास्त्र से विमुख पुत्रों को नीतिशास्त्र के द्वारा सन्मार्ग पर ला कर, उनका जन्म सफल बना सके ?”

मित्रों, विद्वानों की उस सभा में से विष्णु शर्मा नाम का एक महापंडित जो समस्त नीतिशास्त्र का तत्वज्ञ था, गुरु बृहस्पति की भांति उठ खड़ा हुआ और कहने लगा–“ राजन् !आपके ये राजपुत्र आपके महान् कुल में जन्मे हैं।मैं मात्र छह महीनों में इन्हें नीतिशास्त्र पढ़ा कर, इनका जीवन बदल सकता हूँ।” यह सुनकर अत्यधिक प्रसन्न हुआ राजा बोला –“एक कीड़ा भी जब पुष्पों के साथ सज्जनों के मस्तक की शोभा बन सकता है और महान् व्यक्तियों के द्वारा प्रतिष्ठित एक पत्थर भी ईश्वर की प्रतिमा का स्वरूप ले सकता है, तो निःसंदेह आप भी यह कठिन कार्य अवश्य कर सकते हैं।”

अब राजा सुदर्शन ने बड़े सम्मान के साथ अपने पुत्रों को शिक्षा-प्राप्ति के लिए पंडित विष्णु शर्मा को सौंप दिया और उस विद्वान ने भी राजा के उन शास्त्रविमुख पुत्रों को मात्र छह महीनों में ; पशु-पक्षियों एवं जीव-जन्तुओं की मनोरंजक तथा प्रेरणादायक कहानियों के माध्यम से नीतिशास्त्र का ज्ञान करवाया जिससे उनका जीवन ही बदल गया। मित्रों, यही कहानियाँ ‘पंचतन्त्र की कहानियां’ कहलाती हैं जो हितोपदेश नामक ग्रन्थ का आधार हैं।

आइये, पंचतंत्र की दो प्रसिद्ध कहानियां पढ़ें और अपने बचपन को और साथ-साथ इनसे मिलने वाली ‘प्रेरणा’ एवं ‘सीख’ को भी पुनः स्मरण कर लें।




           कछुआ  और  खरगोश




एक बार की बात है कि एक जंगल में एक कछुए और एक खरगोश में रेस हो गयी। अभी दौड़ते-दौड़ते थोड़ा ही समय गुज़रा था कि खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा कि कछुआ काफी पीछे रह गया है। उसने सोचा कि कछुए की चाल तो बहुत ही धीमी है इसलिए मैं थोड़ी देर विश्राम कर लेता हूँ।अब वह एक पेड़ की ठंडी छाँव में ऐसा सोया कि कछुआ, धीमी चाल होने के बावजूद भी, उससे आगे निकल कर अपने गन्तव्य तक पहुँच कर रेस जीत गया।मित्रों, इस कहानी के आधार पर ही यह कहावत मशहूर हो गयी जिसे लोग अक्सर दोहराया करते हैं कि—

एक नदी के किनारे एक जामुन के पेड़ पर एक बन्दर रहता था जिसकी मित्रता उस नदी में रहने वाले मगरमच्छ के साथ हो गयी।वह बन्दर उस मगरमच्छ को भी खाने के लिए जामुन देता रहता था।एकदिन उस मगरमच्छ ने कुछ जामुन अपनी पत्नी को भी खिलाये। स्वादिष्ट जामुन खाने के बाद उसने यह सोचकर कि रोज़ाना ऐसे मीठे फल खाने वाले का दिल भी खूब मीठा होगा ;अपने पति से उस बन्दर का दिल लाने की ज़िद्द की।

पत्नी के हाथों मजबूर हुए मगरमच्छ ने भी एक चाल चली और बन्दर से कहा कि उसकी भाभी उसे मिलना चाहती है इसलिए वह उसकी पीठ पर बैठ जाये ताकि सुरक्षित उसके घर पहुँच जाए।बन्दर भी अपने मित्र की बात का भरोसा कर, पेड़ से नदी में कूदा और उसकी पीठ पर सवार हो गया।जब वे नदी के बीचों-बीच पहुंचे ; मगरमच्छ ने सोचा कि अब बन्दर को सही बात बताने में कोई हानि नहीं और उसने भेद खोल दिया कि उसकी पत्नी उसका दिल खाना चाहती है।बन्दर को धक्का तो लगा लेकिन उसने अपना धैर्य नहीं खोया और तपाक से बोला –‘

ओह, तुमने, यह बात मुझे पहले क्यों नहीं बताई क्योंकि मैंने तो अपना दिल जामुन के पेड़ की खोखल में सम्भाल कर रखा है।अब जल्दी से मुझे वापस नदी के किनारे ले चलो ताकि मैं अपना दिल लाकर अपनी भाभी को उपहार में देकर; उसे खुश कर सकूं।

मूर्ख मगरमच्छ बन्दर को जैसे ही नदी-किनारे ले कर आया ;बन्दर ने ज़ोर से जामुन के पेड़ पर छलांग लगाई और क्रोध में भरकर बोला –“अरे मूर्ख ,दिल के बिना भी क्या कोई ज़िन्दा रह सकता है ? जा, आज से तेरी-मेरी दोस्ती समाप्त।”

मित्रो ,बचपन में पढ़ी यह कहानी आज भी मुसीबत के क्षणों में धैर्य रखने की प्रेरणा देती है ताकि हम कठिन समय का डट कर मुकाबला कर सकें। दूसरे, मित्रता का सदैव सम्मान करें।


Created By - Krishna Mishrab

जीवन क्या है जीना क्यों और जीना कैसे हैं मार्गदर्शन करें

















प्रश्न - *जीवन क्या है जी? जीना क्यों जी? और जीना कैसे हैं जी ? मार्गदर्शन करें जी..*

उत्तर - आत्मीय भाई,

न जन्म हमारे हाथ में है और न ही मृत्यु हमारे हाथ में है। हमारे हाथ में जन्म से मृत्यु तक का समय है। यह समय हम कहाँ, कैसे, क्यों और कितना खर्च किसके लिए कर रहे हैं। वस्तुतः यही जीवन है।

*यह जीवन मनुष्य के लिए ईश्वर का सबसे बड़ा उपहार है।* इसकी गरिमा इतनी बड़ी है, जितनी संसार में किसी अन्य सत्ता की नहीं। *मानव जीवन ही वह अवसर है, जिसमें हम जो भी चाहें प्राप्त कर सकते हैं। इसका सदुपयोग हमें कल्पवृक्ष की भांति फल देता है।*

यदि अंतरात्मा से प्रश्न पूँछे कि *आखिर हम इस दुनिया में आए ही क्यों हैं* ? *जीवन जीना क्यों है?* तो अंतरात्मा जवाब देगी कि सामान इकट्ठा करने के लिए नहीं आये , एक आरामदायक जीवनशैली जीने के लिए नहीं आये , अपने परिवार के जीवन को जितना हो सके आरामदायक बनाकर फ़िर मर जाने के लिए तो नहीं आये हैं, *अब कोई यह माने या नहीं कि मृत्यु के बाद भी जीवन है या नहीं लेकिन एक बात तो साफ़ है कि हम संसार की इन वस्तुओं में से कोई एक भी अपने साथ नहीं ले जा सकते, क्योंकि हमारे पूर्वज भी न ले जा सके* ! तो फ़िर अपने जीवन को, वस्तुओं को हासिल करने और उनकी रक्षा करने में समर्पित करने का क्या औचित्य बनता है ? *धन कमाइए लेकिन उसे अपनी खुद की आत्म - सतुष्टि और खुशी से ज्यादा महत्वपूर्ण धन कमाने को मत बनाइए* धन को जीवनलक्ष्य मत बनाइये, क्योंकि मृत्यु के बाद एक सिक्का भी साथ नहीं ले जा सकेंगे ! "

वेद, पुराण, उपनिषद पढ़ेंगे तो आपको जवाब मिलेगा क़ि मनुष्य के जीवन का उद्देश्य है कि *अविद्या का नाश करना, सत्य ज्ञान की प्राप्ति करना, मैं क्या हूँ? यह जानना, स्वयं के अस्तित्व को पूर्णता प्रदान करना। हमारी आत्मा की पूर्णता परमात्मा से है। उसे पाने के लिए जन्म जन्मांतर तक प्रयासरत रहना। क्योंकि यह यात्रा आत्मा की है शरीर की नहीं, जैसे बस बदलने से यात्री की यात्रा को फर्क नहीं पड़ता, उसी तरह शरीर बदलने से आत्मा की यात्रा नहीं रुकती।*

*जीवन कैसे जियें यह प्रकृति व पुष्पों से सीखें* - प्रात: की सुगंधित मंद पवन बह रही थी। एक गुलाब का पुष्प खुशी से झूम रहा था। आसपास के पेड़-पौधों ने कहा, इतना मत इतराओ, शाम होते-होते ये नाजुक पंखुडियां मुरझा जाएंगी। पुष्प ने कहा, कोई बात नहीं, जितना जीवन है, उतनी देर तो खुश हो लूं। दूसरे पौधों ने फिर कहा, इतना झूमोगे तो माली की नजर में आ जाओगे और वह तुम्हें तोड़ कर ले जाएगा। शाम से पहले ही जीवन समाप्त हो जाएगा। क्या तुम्हें डर नहीं लगता? गुलाब के पुष्प ने सहज भाव से उत्तर दिया, हम कितना अच्छा जीवन जीते हैं, यह महत्व रखता है, कितना लंबा जीते हैं, वह नहीं। मेरे लिए मेरे जीवन का मतलब है चारों तरफ खुशबू और खुशी खुशबू फैलाना। यदि मेरी सुगंध का माधुर्य फैलने से मेरी मृत्यु भी आ जाती है, तो उसे मैं अविनाशी जीवन मानूंगा, परमात्मा ने जिस उद्देश्य से मुझे बनाया था वह जीवन मैंने पूर्णता से जिया यह मेरी उपलब्धि है। पुष्प की तरह हमें भी जितनी भी उम्र मिली है, उसे सहजता व सरलता से जीना चाहिए।

यदि हम अपने जीवन की सीमित समय सीमा में कुछ श्रेष्ठता पाना चाहते हैं, तो हमें उन विचारों और कार्यों को प्राथमिकता देनी होगी, जिससे मानव समाज का कल्याण हो। मानव और समाज के कल्याण करने की इच्छा मात्र से हमारी मानसिकता ऐसी हो जाती है कि अपना कल्याण, स्वार्थ न सोचकर केवल समाज हित और मानव कल्याण की ओर बढ़ जाते हैं। हमारा लक्ष्य केवल दीर्घायु पाना नहीं है। हमारी कोशिश रहनी चाहिए कि जीवन की समय सीमा में जितना अधिक से अधिक हो सके श्रेष्ठता प्राप्त करें, कुछ सकारात्मक करें। *ईश्वर के निमित्त बनकर ईश्वर की बनाई सृष्टि की देखभाल करें, स्वयं के अस्तित्व की पहचान करें, इस सृष्टि के नियंता को जानने के लिए प्रयासरत रहें, ईश्वर का दिया जीवन ईश्वर के लिए जियें।*

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Santa Banta Jokes in Hindi





Santa Bana Joke 

संता पहली बार दुकान पर काम करने गया तो एक लङकी आयी और बोली, "भईया अंडरवियर दिखाना।"
संता: कल आना आज पहनी नहीं है।
लड़की ने संता को खूब पीटा, चप्पल से पीटा, लाठी से पीटा, और बहुत घसीट-घसीट के पीटा।
संता उठा और कपड़े झाड़ते हुए बोला, "सॉरी, कल पक्का पहन कर आऊंगा।"

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संता और जीतो साथ में फ़ोटो खिंचवाने गए। वापिस आते समय जीतो ने संता को बोला: यह फोटोग्राफर बड़ा बदमाश है।
संता: क्यों, क्या बात हो गई?
जीतो: जब मेरी फ़ोटो खींच रहा था तब मुझसे बोला, 'मेरी तरफ देख कर मुस्कुराइए'!



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बंता: तुमने मेरे जेब में हाथ क्यों डाला?
सुरेश: मुझे माचिस चाहिए थी।
बंता: तो तुम मुझसे मांग सकते थे।
सुरेश: मैं अजनबी से बात नहीं करता।
सुरेश रॉक(Rock), बंता शॉक(Shock)।

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संता, जीतो से: यह सब्ज़ी तुमने बनाई है, इसका नाम क्या है?
जीतो: क्यों पूछ रहे हो?
संता: क्योंकि अस्पताल में मुझसे भी पूछेंगे कि मैंने क्या खाया था?


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संता बंता से: तुम इस ऑफिस में कब से काम कर रहे हो?
बंता: जब से बॉस ने मुझे नौकरी से निकालने की धमकी दी है।


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संता प्लेटफॉर्म के एक तरफ लेटा हुआ था।
यह देख कर बंता ने पूछा: क्या कर रहे हो?
संता: आत्म-हत्या।
बंता: तो फिर बीच में लेटो रेलगाड़ी तो बीच में से ही जाएगी।
संता: यार, डर लगता है!


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संता के घर पुलिस आई और दरवाजा खटखटाया।
संता: कौन है?
पुलिस वाले: हम पुलिस वाले हैं, दरवाजा खोलो।
संता: क्यों खोलूं?
पुलिस वाले: कुछ बात करनी है।
संता: तुम कितने लोग हो।
पुलिस वाले: हम 3 लोग हैं।
संता: तो सालों आपस में बात कर लो, मेरे पास टाइम नहीं है।

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बंता: आप एक मैसेज दो-दो बार क्यों भेजते हो?
संता: कर दी न पागलों वाली बात, ओये एक तू रख लिया कर और एक आगे भेज दिया कर।
बंता: तब तो आप तीन बार मैसेज किया करो।
संता: वो क्यों?
बंता: एक डिलीट भी तो करना होता है!

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संता काफी देर से अपने मैरिज सर्टिफिकेट को घूर कर देख रहा था।
उसकी पत्नी जीतो बोली: इतनी देर से इसे क्यों घूर रहे हो?
संता: इसकी एक्सपायरी डेट ढूंढ रहा हूं।

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बंता: यार मैं दो बार तेरे रेस्टोरेंट में आया, पर दोनों बार ताला लगा हुआ था।
संता: तू लंच टाइम में आया होगा, उस समय हम खाना खाने घर चले जाते हैं!


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बंता संता से: तुम एक दम से इतने अमीर कैसे बन गए?
संता: बस अपनी भूलने की बीमारी के कारण।
बंता: वो कैसे?
संता: दरअसल मेरे चाचा जी को दिल का दौरा पड़ा था। उस समय मैं डॉक्टर का नंबर भूल गया और मैं बस अमीर बन गया।

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संता: बेटा, आज तुमने कौन सा नेक काम किया?
पप्पू: एक आदमी बस के पीछे दौड़ रहा था। मैंने उसके पीछे अपना कुत्ता छोड़ दिया, कुत्ते के डर से वह और तेज दौड़ा और बस में चढ़ गया।

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संता डॉक्टर से: मेरी पत्नी की याददाश्त निहायत वाहियात है।
डॉक्टर: हर बात भूल जाती है क्या?
संता: नहीं जी, हर बात याद रखती है।


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जीतो संता से: एक काम करोगे जी मेरा। पप्पू को आज चिड़िया घर ले जाओगे।
संता गुस्से में था और बोला: मुझे क्या गरज पड़ी है? चिड़िया घर वाले अगर उसे चाहते हैं तो वे खुद आएं और उसे ले जाएं।

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संता ने बंता से कहा: मैं अमेरिका जाने की सोच रहा हूँ।
बंता : बहुत बढ़िया। भला कितना खर्च हो जाएगा?
संता: एक पैसा भी नहीं। भला सोचने में पैसा कहाँ खर्च होता है।


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संता बंता से: आज मैंने 'पानी' को 'उल्लू' बनाया।
बंता: पानी को उल्लू? वो कैसे?
संता: ओये, सुबह मैंने पानी गरम किया और फिर ठंडे पानी से नहा लिया।


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संता और बंता आपस में बात कर रहे थे।
बंता: यार मैं जब सूट पहन कर सब्जी लेने जाता हूँ तो दुकानदार मुझे महंगी सब्जी देते है और जब गंदे कपड़े पहन कर जाता हूँ तो सस्ती देते है।
संता ने सुझाव दिया: "यार, तुम कटोरा लेकर जाया करो मुफ्त में ही दे देंगे।"


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संता को जब डॉक्टर बेहोशी का इंजेक्शन देने लगे तो वह बोला, "एक मिनट डॉक्टर साहब।"
डॉक्टर फौरन रुक गया।
संता ने अपनी पॉकेट से पर्स निकाला।
यह देखकर डॉक्टर बोले, "अरे भाई, फीस की कोई जल्दी नहीं है"।
संता: फीस की मुझे भी जल्दी नहीं है, मैं तो अपने पैसे गिन रहा हूँ।

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एक दिन संता ने बंता से कहा कि क्या कर रहे हो?
तो बंता ने कहा: "कुछ नहीं"।
तब संता ने कहा: "साले, कुछ तो कर लिया कर"।

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 शादी की पार्टी में "डी. जे." ने पूछा: कब तक बजाना है?
संता: मेहमान थोड़ा टल्ली हो जायें, उसके बाद तो सब 'जेनरेटर' की आवाज़ पर भी नाच लेंगे।


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संता: आज कल ज्यादातर बच्चे जुड़वा क्यों पैदा होते हैं।
बंता: क्योंकि दुनिया में इतना आंतकवाद बढ़ गया है कि वो अकेले आने से डरते हैं।


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बंता: यार संता, ये जलेबी "फीमेल" क्यों है?
संता: इसके दो कारण हैं, एक तो वो मीठी है और दूसरा वो कभी सीधी नहीं हो सकती।


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संता: यार कोई ऐसा तरीका बता जिससे मैं 100 साल तक जिंदा रह सकूँ ?
बंता: बहुत आसान है। तीन दिन में एक बार खाना खा और तीन-चार शादियाँ कर ले।
संता: क्या इससे मैं 100 साल तक जिंदा रहूँगा ?
बंता: नहीं। पर इससे तू जल्दी ही 100 साल का दिखने जरूर लगेगा।


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संता: पीके फिल्म का दूसरा पार्ट कब आएगा?
बंता: क्यों?
संता: वो पीके के गोले पर रहने वाली लड़कियो को भी देखना था मुझे!



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संता का बॉस: कल जब एक्सीडेंट हुआ तो तुम क्या नशे मे थे?
संता: नहीं सर।
बॉस: तो शाम को 5 बजे तुम अंधे हो जाते हो जो मेरी गाड़ी ठोक के मुझे ही नही पहचाना?


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संता: "पीके" फिल्म का दूसरा पार्ट कब आएगा?
बंता: क्यों?
संता: वो "पीके" के गोले पर रहने वाली लड़कियो को भी देखना था मुझे।


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संता: बिना ऑक्सीजन के इंसान का जीना मु‍मकिन नहीं, इस अनमोल गैस की खोज 1773 में हुई थी।
बंता: तो फिर सन् 1773 के पहले लोग कैसे जीते थे?


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 पप्पू: पिता जी कोई आया है।
संता: कौन है?
बेटा: कोई मूंछ वाला है।
पिता: कह दो नहीं चाहिए।


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 बंता: यार तुम्हारा बेटा बहुत बिगड़ गया है। गंदी-गंदी गालियां बकता है।
संता: अबे नहीं वो तो AIB में जाने की तैयारी कर रहा है।



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संता पार्टी से रात को देर से घर गया।
अगले दिन बंता ने उससे पूछा: बीवी ने कुछ कहा तो नहीं?
संता: नहीं-नहीं, कुछ खास नहीं... ये दो दांत तो मुझे वैसे भी निकलवाने ही थे।



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संता अपनी बीमारी की वजह से डॉक्टर के पास गया।
डॉक्टर: आपकी बीमारी की सही वजह मेरी समझ में नहीं आ रही। हो सकता है दारु पीने की वजह से ऐसा हो रहा हो।
संता: कोई बात नहीं डॉक्टर साहब, जब आपकी उतर जाएगी तो मैं दोबारा आ जाऊंगा।



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एक बार संता की टाँग की हड्डी टूट गयी। वो अस्पताल गया तो वहाँ उसने देखा कि एक आदमी की दोनों टाँगों की हड्डियां टूटी हुई थी। उसे देख संता बोला, "अरे आप की क्या दो बीवियां हैं।"


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बंता संता से: मेरा बेटा क्लास में फर्स्ट आया।
संता: अरे वाह! बहुत अच्छे, कैसे?
बंता: राजधानी एक्सप्रेस में।


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बंता: यार, शादी में जाना है, कैसा 'कोट' पहन के जाऊँ कि सब मुझे ही देखें?
संता: एक काम कर 'पेटी'कोट' पहन के चला जा फिर सब तुझे ही देखेंगे।


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संता शराब पी कर बस में चड़ा तो एक साधु बाबा बस में बैठे थे और बोले, "तुम नर्क के रास्ते पर जा रहे हो।"
संता (चिल्लाते हुए): ओये रुको-रुको बस रोको, मैं गलत बस में चढ़ गया हूँ।




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संता बंता को गुस्से से बोल रहा था।
संता: यार, जब मैंने तुझे खत लिखा था कि मेरी शादी में जरूर आना। तो तुम आये क्यों नही?
बंता: ओह यार, पर मुझे खत मिला ही नही।
संता: मैंने लिखा तो था कि खत मिले या ना मिले तुम जरूर आना।


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पप्पू: डैडी जी! मैं आपको बता देता हूं, अगर इस साल भी मैं फेल हो गया तो मैं आत्महत्या कर लूंगा।
संता: खबरदार, अगर तूने आत्महत्या की तो मैं तुझे जान से मार दूंगा।



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संता डॉक्टर के पास गया।
डॉक्टर: आ गए, बड़ी उम्र है तुम्हारी - मैं अभी तुम्हे याद कर रहा था।
संता: अच्छा, बहुत उम्र है तो मैं जाता हूं इलाज से क्या फायदा।



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डॉक्टर: आपकी बीमारी की असल वजह मेरी समझ में नहीं आ रही, हो सकता है दारु पीने की वजह से ऐसा हो रहा हो।
संता: कोई बात नहीं डॉक्टर साहब, जब आपकी उतर जाएगी तब मैं दोबारा आ जाऊंगा चेक-अप के लिए।



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संता बंता से: 20 सालों में, आज पहली बार अलार्म से सुबह सुबह मेरी नींद खुल गई।
बंता: क्यों, क्या तुम्हें अलार्म सुनाई नहीं देता था?
संता: नहीं आज सुबह मुझे जगाने के लिए मेरी बीवी ने अलार्म घड़ी फेंक कर सिर पर मारी।



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भिखारी: पहले आप 10-10 रू देते थे अब सिर्फ 1 रू का सिक्का?
संता: बाबा पहले मैं कुँवारा था अब शादीशुदा हूँ।
भिखारी: साले शर्म नहीं आती मेरे पैसों से अपने बीवी-बच्चों को पाल रहा है।



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डॉक्टर: आपका वजन कितना है?
संता: चश्मे के साथ 75 किलो।
डॉक्टर: और बिना चश्मे के?
संता: वो चश्मे के बिना तो मुझे दिखता ही नहीं।



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बंता: यार संता, मैंने तुम्हें लैटर पर चिपकने के लिए टिकट खरीदने के लिए पैसे दिए थे। फिर तू ये पैसे मुझे वापस क्यों कर रहा है?
संता: ओ यार, मैं जब लैटर पोस्ट करने पोस्ट बॉक्स पे गया तो वहाँ कोई था ही नहीं और किसी ने मुझे देखा ही नहीं कि मैंने बिना टिकट ही लैटर पोस्ट कर दिया।


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संता: यार यह सुरेंदर हमेशा कड़की में रहता है। इसके पास कभी पैसे नहीं होते।
बंता: क्यों, क्या वो तुमसे पैसे माँगता है?
संता: नहीं यार, जब भी मैं माँगता हूँ तो मना कर देता है।


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संता: तेरी बीवी मर गयी तो तूने अपनी साली से शादी क्यों कर ली?
बंता: अब नयी सास को झेलने की हिम्मत मुझ में नहीं रही।



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जीतो: एक शादीशुदा ज़िंदगी में और पागलखाने में क्या अंतर है।
संता: पागलखाने में आप ठीक होकर बाहर जा सकते हो और शादीशुदा ज़िंदगी में ऐसा कुछ संभव नहीं है।


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बंता गबराया हुआ पुलिस थाने पहुंचा और कहने लगा: थानेदार साहब, मेरे मित्र, संता के साथ भयंकर दुर्घटना हो गई है।
"कैसी दुर्घटना?" थानेदार ने चौंक कर पूछा।
बंता बोला: वह आज मेरी पत्नी को भगाकर ले गया है।


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संता बंता से: मैं तो अपने सारे दोस्तों को भूल ही गया था, पर एक फ़िल्म देखी तो सब याद आ गए।
बंता: कौन सी फ़िल्म?
संता: 'कमीने'।


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संता पप्पू को डांटते हुए, "पानी सर से ऊँचा होता जा रहा है।"
अंदर से जीतो जो बाथरूम में टब में नहा रही थी बोली, "जी तुम कहाँ से देख रहे हो? दरवाजा तो बंद है।"



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संता अपने बेटे पप्पू के स्कूल गया।
संता (पप्पू की टीचर से): मेरा बेटा पढाई में कैसा है?
टीचर: बस ये समझ लो कि आर्यभट्ट ने शून्य की खोज इसके लिए ही की थी।
संता: अरे आखिर बेटा किसका है!


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पप्पू: पापा मैं लव मैरिज करूँगा।
संता: हाँ तू लव मैरिज ही कर लेना, क्योंकि जैसी तेरी शक्ल है मुझे नहीं लगता मैं तेरी अरेंज मैरिज करवा पाउँगा।



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संता: आज खाना तुमने नहीं बनाया क्या?
जीतो: क्यों क्या खराबी है?
संता: कोई खराबी नहीं है, सब कुछ एक दम सही है, तभी पूछ रहा हूँ कि कहीं बाहर से मंगवाया है क्या?



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बंता: अरे भाई क्या हुआ? इतने मायूस क्यों हो?
संता: क्या बताऊँ मैं तो बरबाद हो गया।
बंता: क्यों क्या हुआ?
संता: मेरे दादे को पुनर्जन्म में विश्वास था, कमबख्त अपनी जायदाद अपने ही नाम कर गये।



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संता: मुझे बहुत चिंता हो रही है यार, बारिश शुरू हो गयी है और मेरी पत्नी बाजार गयी हुई है। बंता: चिंता की क्या बात है? वो किसी दुकान पे रुक जायेगी।
संता: इसी बात की तो चिंता है कि वो किसी दुकान पे न रुक जाये।




-------------------------------------krishna Misha -----------------------------------

Dard Shairy In Hindi













कहां कोई मिला जिस पर दुनिया लुटा देते हर एक ने दिया धोखा किसको भुला देते 
दिल का दर्द तो दिल में दवाई रखा जो करते बयान तो महफिल को रूला देते


रात ढल गई सितारे भी चले गए 
गैरों से क्या गिला करते जब अपने ही छोड़कर मुझे चले गए 
इश्क की बाजी हम भी जी सकते थे पर उन को जिताने के लिए हम हारते चले गए


काश कि तुमने हमें आवाज दी होती और हम मौत की कब्र से भी उठकर चले आते हैं


कौन कहता है कि प्यार सच्चा होता है अरे यार छोड़ो ना पहले मकान कच्चे थे 
तो इंसान सच्चे थे अब मकान पक्के हो गए हैं बेवफा लोगों की कमी नहीं है इस दुनिया में

खुद को खो दिया हमने अपनों को पाते पाते और लोग पूछते हैं तकलीफ तो नहीं हुई
एक ही थी इस दुनिया में मुझे समझने वाली अब वह भी समझदार हो गई है

बदल जाते हैं वक्त से पहले वह लोग
 जिन्हें वक्त से पहले ज्यादा वक्त दे दिया जाता है


मेरे अकेलेपन का शौक ना समझो यारो 
बड़े ही प्यार से तोहफा दिया था आप मेरे चाहने वालों ने


मत इंतज़ार कराओ हमे इतना कि वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जाए
 क्या पता कल तक तुम लौटकर आओ और हम खामोश हो जाएं


ख्वाहिश तो किसी से थी ही नहीं दिल लगाने की 
पर किस्मत में दर्द लिखा तो मोहब्बत तो हो ही गई


तमन्ना तो मेरी भी थी कि कोई मुझे टूटकर चाहे पर ऐसा हुआ 
कि जो मुझे चाहता रहा हम उन्हीं की यादों में एक दिन टूट कर बिखर गए


जिंदगी हमारी एक सितम सी हो गई 
खुशियां ना जाने कहां दफन हो गई 
लिखी जब खुदा ने हमारी जिंदगी में खुशी तो उसकी स्याही ही खत्म हो गई


ए बेवफा हम मेरी मोहब्बत का सफर आखरी है 
यह मेरा शोहरत और नाम यह मेरा ग़ज़ल आखरी है 
फिर नहीं मिलूंगा कभी तुम्हें चाहे तो ढूंढ लेना क्योंकि यह मेरी बात आखरी है


यह पत्थर की दुनिया मेरी जज्बात नहीं समझती 
दिल में मेरे क्या है वह बेवफा मेरी बात नहीं समझती 
तंहा तो चांद भी है सितारों के बिना लेकिन चांद का दर्द वो रात नहीं समझती



उसके चले जाने के बाद मैंने मोहब्बत करनी छोड़ दी 
और ना ही किसी से मोहब्बत करेंगे क्योंकि 
अब जिंदगी छोटी सी हो गई है किस किस को आजमाते रहेंगे


बहुत उदास हूं मैं आज तेरे जाने से आजा लौट आ किसी बहाने से 
तू लाख खफा सही मुझसे मगर आकर देख कोई टूट कर बिखर गया है तेरे जाने से


बर्बाद होने के बहुत सारे रास्ते थे 
ना जाने मेरे मन में क्या ख्याल आया मोहब्बत कर बैठा


तुझे हक है खुश रहने का तू खुश रहना
 मेरा क्या मेरी खुशी तो तुझसे थी और तू भी चली गई


अगर तुम जाने ही लगी हो तो कभी पीछे मुड़कर मत देखना 
क्योंकि जज फांसी सुनाने के बाद कलम तोड़ देता है



कुछ तो बात होगी ताजमहल में वरना 
एक प्यार के लिए ताजमहल कौन बनवाया था



Life Motivation in Hindi





1.-: थक कर बैठा हूं हार कर नहीं अभी बाजी निकली है जिंदगी नहीं

2-: बाप की दौलत पर क्या घमंड करना अगर घमंड करना ही है तो अपने दौलत पर करो जो तुम्हारे मां बाप ने बहुत पहले सपना देखा था

3-: अकेले चलना सीख लो जरूरी नहीं है कि आज जो तुम्हारे साथ है कल भी वह तुम्हारे साथ ही रहेगा

4-:  बड़ा नौकर बनने से अच्छा है छोटा मालिक बन जाओ खुश रहोगे

5-:  मंजिल मिले या ना मिले यह अलग बात है पर हम कोशिश ना करें यह गलत बात है

6-: जब लोग तुम्हारी कॉपी करने लग जाए ना समझ लेना कि तुम सफलता की राह पर जा रहे हो

7-: जिंदगी में कभी हिम्मत नहीं हारना चाहिए मुश्किलें तो आती रहेंगी और जाति भी रहेंगी लेकिन फर्क इतना होगा कि मुश्किलें आएंगी तो हार जाओगे फिर कैसे आगे बढ़ो गे

8-: कह दो मुश्किलों से थोड़ा सा अपनी औकात में रहे जिस दिन भी उठेंगे तूफान बन कर उठेंगे फिर चाहे वह दरिया हो या फिर तूफान फिर कोई नहीं रोक सकता तुम भी नहीं

9-: बड़ा सोचो बड़ा करो छोटे करने के लिए तो अक्सर छोटे लोग ही काफी है

10-:  तुम कुछ बड़ा करने के लिए पैदा हुए हो तुम अपने आप को पहचानो आखिर तुम्हारे पास ही क्यों एक ऑफ यूनिटी आई जिसे तुम करने के लिए मना कर रहे हो

11-:  वक्त आने दो अभी वक्त हमारा नहीं है इसलिए हम चुप हैं और तुम हमें उड़ाने में लग रहे हो लेकिन एक बात का ध्यान रखना जिस दिन भी हमारा वक्त आया ना उस दिन तुम्हें ही उड़ा देंगे

12-:  जिंदगी में इंसान उतना ही बड़ा कर सकता है जितना बड़ा सोच सकता है बड़ा करने के लिए हिम्मत नहीं चाहिए पहले बड़ा सोचने के लिए हिम्मत चाहिए बढ़ा तो अपने आप हो जाएगा

13-: दौलत का घमंड अपने मां बाप को कभी मत दिखाना क्योंकि अगर वो रूठ गए ना तो तुम्हारी जिंदगी खत्म हो जाएगी

14-"  मैं अपनी इच्छा से चलता हूं दुनिया के राय से नहीं जो मेरे मन में आता है मैं वह करता हूं लेकिन जब करता हूं ना तो बड़े-बड़े लोगों की सांसे थम जाती है वैसे मेरी जिंदगी में कोई काम छोटा नहीं होता चाहे वह काम छोटा हो या फिर बड़ा


15-:  जिंदगी में एक चीज हमेशा याद रखना जब किसी काम को छोड़ने का मन करें तभी मत छोड़ना बाकी कभी भी छोड़ देना




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