कहां कोई मिला जिस पर दुनिया लुटा देते हर एक ने दिया धोखा किसको भुला देते
दिल का दर्द तो दिल में दवाई रखा जो करते बयान तो महफिल को रूला देते
रात ढल गई सितारे भी चले गए
गैरों से क्या गिला करते जब अपने ही छोड़कर मुझे चले गए
इश्क की बाजी हम भी जी सकते थे पर उन को जिताने के लिए हम हारते चले गए
काश कि तुमने हमें आवाज दी होती और हम मौत की कब्र से भी उठकर चले आते हैं
कौन कहता है कि प्यार सच्चा होता है अरे यार छोड़ो ना पहले मकान कच्चे थे
तो इंसान सच्चे थे अब मकान पक्के हो गए हैं बेवफा लोगों की कमी नहीं है इस दुनिया में
खुद को खो दिया हमने अपनों को पाते पाते और लोग पूछते हैं तकलीफ तो नहीं हुई
एक ही थी इस दुनिया में मुझे समझने वाली अब वह भी समझदार हो गई है
बदल जाते हैं वक्त से पहले वह लोग
जिन्हें वक्त से पहले ज्यादा वक्त दे दिया जाता है
मेरे अकेलेपन का शौक ना समझो यारो
बड़े ही प्यार से तोहफा दिया था आप मेरे चाहने वालों ने
मत इंतज़ार कराओ हमे इतना कि वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जाए
क्या पता कल तक तुम लौटकर आओ और हम खामोश हो जाएं
ख्वाहिश तो किसी से थी ही नहीं दिल लगाने की
पर किस्मत में दर्द लिखा तो मोहब्बत तो हो ही गई
तमन्ना तो मेरी भी थी कि कोई मुझे टूटकर चाहे पर ऐसा हुआ
कि जो मुझे चाहता रहा हम उन्हीं की यादों में एक दिन टूट कर बिखर गए
जिंदगी हमारी एक सितम सी हो गई
खुशियां ना जाने कहां दफन हो गई
लिखी जब खुदा ने हमारी जिंदगी में खुशी तो उसकी स्याही ही खत्म हो गई
ए बेवफा हम मेरी मोहब्बत का सफर आखरी है
यह मेरा शोहरत और नाम यह मेरा ग़ज़ल आखरी है
फिर नहीं मिलूंगा कभी तुम्हें चाहे तो ढूंढ लेना क्योंकि यह मेरी बात आखरी है
यह पत्थर की दुनिया मेरी जज्बात नहीं समझती
दिल में मेरे क्या है वह बेवफा मेरी बात नहीं समझती
तंहा तो चांद भी है सितारों के बिना लेकिन चांद का दर्द वो रात नहीं समझती
उसके चले जाने के बाद मैंने मोहब्बत करनी छोड़ दी
और ना ही किसी से मोहब्बत करेंगे क्योंकि
अब जिंदगी छोटी सी हो गई है किस किस को आजमाते रहेंगे
बहुत उदास हूं मैं आज तेरे जाने से आजा लौट आ किसी बहाने से
तू लाख खफा सही मुझसे मगर आकर देख कोई टूट कर बिखर गया है तेरे जाने से
बर्बाद होने के बहुत सारे रास्ते थे
ना जाने मेरे मन में क्या ख्याल आया मोहब्बत कर बैठा
तुझे हक है खुश रहने का तू खुश रहना
मेरा क्या मेरी खुशी तो तुझसे थी और तू भी चली गई
अगर तुम जाने ही लगी हो तो कभी पीछे मुड़कर मत देखना
क्योंकि जज फांसी सुनाने के बाद कलम तोड़ देता है
कुछ तो बात होगी ताजमहल में वरना
एक प्यार के लिए ताजमहल कौन बनवाया था

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